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लेखनी प्रतियोगिता -23-Jul-2023


आँखों से आंसू की बदली छंट जाएगी
गम की रात घनी है लेकिन कट जाएगी।

माना मुश्किल वक्त है
कुछ मद्धम चलता है
उम्मीदों का चांद यहां
फिर भी जलता है
राह सफलता वाली 
नहीं दिखती है तो क्या
जीवन में तकलीफों का
सिक्का चलता है।
फिर भी आशा बनके चांदनी बिछ जाएगी
गम की रात घनी है लेकिन कट जाएगी।

दुविधा बनके कोहरा 
कब तक भटकायेगी
मेहनत की गर्मी से
पल में पिघल जाएगी
गम के सागर से खुशियों
के मोती चुन लें
कठिनाई का काम है
आएगी जाएगी।
श्रम के चक्रवात में ये न टिक पाएगी
गम की रात घनी है लेकिन कट जाएगी।

सफलता के सूरज को
स्वयं उगाना होता है
गम के सागर से मोती
ढूंढ के लाना होता है
लाखों बातें राहों का
एक इंद्रजाल हैं
अपना रास्ता उठकर
स्वयं बनाना होता है
जोर लगाने से स्थिति पलट जाएगी
गम की रात घनी है लेकिन कट जाएगी।

दुनिया का क्या है
कुछ तो कहती रहती है
श्रम की नाव इसी
सागर में ही बहती है
तट पर जो मिलते हैं
वो कंकर पत्थर हैं
सफलता की सीपी
गहराई में रहती है
रात की चादर एक वार में फट जाएगी
गम की रात घनी है लेकिन कट जाएगी।।


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2 Comments

Punam verma

24-Jul-2023 02:38 PM

Very nice

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Wahhhh wahhhh बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,, प्रेरित करती हुई रचना

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